वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे

होत बिहनिया कुकरा नरियावय
रुख म बइठ चिरई-चिरगुन गावय
‘रामसत्ता’के मिसरी कान म घोरावय
घर-घर रेडियो रमायन सुनावय
मंदिर के घंटी मन ल लुभावय
वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे?
नांगर धर किसान खेत जावय
गरुवा बरदी जावत मेछरावय
घर-घर अँगना चऊँक पुरावय
दीदी बोरींग म पारी लगावय
बाबू नहा धोके संख बजावय
वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे?
चूल्हा तीर माई-पिल्ला सकलावय
दाई चहा संग अंगाकर बनावय
अंगरा म बबा बीड़ी सुलगावय
डबररोटी वाले पोप-पोप बजावय
परोसिन हउला धर कुआँ ल जावय
वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे?
गंगाअमली म कोयली हर गावय
अंतस के जम्मो पीरा ल भगावय
डोकरी दाई दतुन बर चिल्लावय
नानकुन भाई ल उठेबर खिसियावय
‘जय गंगान’ ल महराज हर गावय
वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे?
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सुनिल शर्मा “नील”
थान खमरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470

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4 Thoughts to “वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे”

  1. Mahendra Dewangan Maati

    बहुत बढ़िया कविता हे नील जी |
    बने गुरतुर लागिस आपके बोली ह |
    बधाई हो

  2. sunil sharma

    आपमन ल कविता पसंद आइसे एखर बर धन्यवाद आदरणीय “माटी”” जी….जय जोहार

  3. विजेंद्र कुमार वर्मा

    बिहनिया बिहनिया गाँव में का होथे ओकर बने चित्रण करे हव,बधाई हो

  4. sunil sharma

    आपमन मोर कविता ल पसंद करेव एखर बार धन्यवाद विजेंदर वर्मा भाई….जय जोहार,जय छत्तीसगढ़

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